चरागाह एवं खेल के मैदान आदि में होने वाले पौधे, जैसे हाथी घास, सूडान घास, दूब आदि को भी घास कहते हैं l साधारणतया घासों में वे सभी वनस्पतियाँ सम्मिलित की जाती हैं जो गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि पालतू पशुओं के चारे के रूप में काम आती हैं, किन्तु आधुनिक युग में वानस्पतिक वर्गीकरण के अनुसार केवल घास कुल के पौधे जैसे कि बाँस, मक्का, गेंहूँ, जौ, बाजरा, दूब, राई, ईख, धान, ज्वार, खसखस ही इसके अंतर्गत माने जाते हैं।
विश्वभर में विभिन्न प्रकार के घास के मैदान पाए जाते है जिनके आकर एवं ऊंचाई में भिन्नता पायी जाती है l कुछ पौधों की लम्बाई कम होती है ये केवल कुछ इंच लंबे हाते हैं, जैसे खेल के मैदान एवं लान की घासें, कुछ मध्यम वर्ग के होते हैं, जैसे गेहूँ, मक्का, जौ आदि तथा कुछ पौधों की लम्बाई बहुत अधिक होती है, जैसे ईख, बाँस आदि।
विश्व के प्रमुख घास के मैदान:विश्व भर में पाए जाने वाले घास के मैदानों को मुख्यतः दो भागो में वर्गीकृत किया जा सकता है l 1. उष्णकटिबंधीय घास के मैदान 2.शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान
उष्णकटिबंधीय घास के मैदान:-दोनों गोलार्धों के बीच 5° आक्षांश से 30° उत्तरी एवं दक्षिणी आक्षांशों के बीच पाए जाने वाले घास के मैदानों को उष्णकटिबंधीय घास के मैदान कहा जाता है। इस भाग में अधिक गर्मी होती है क्योंकि यहाँ सूर्य हमेशा चमकता रहता है l यहाँ पर वर्षा भी अधिक मात्रा में होती है l इस प्रकार के घास के मैदानों का विस्तार अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में पाया जाता है lउष्णकटिबंधीय घास के मैदान
सवाना - केन्या, तंजानिया (मध्य अफ्रीका)
कैम्पास - ब्राज़ील
लानोज - कोलंबिया और वेनेजुएला
क्वींसलैंड - उत्तर-पूर्व ऑस्ट्रेलिया
सेल्वास - आमेजन
पार्कलैंड - अफ्रीका
पटाना - श्रीलंका
शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान :-उत्तरी गोलार्द्ध मे कर्क रेखा से आर्कटिक वृत्त (23.5° से 66.5° उत्तरी अक्षांश) और दक्षिणी गोलार्ध मे मकर रेखा से अंटार्कटिक वृत्त (23.5° से 66.5° दक्षिणी अक्षांश) के बीच पाए जाने वाले घास के मैदान को शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान कहा जाता है। इन क्षेत्रो मे मौसम काफी ठंडा रहता है और वर्षा भी सामान्य होती है l इस प्रकार के घास के मैदानों का विस्तार उत्तरी अमेरिका, यूरेशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका महाद्वीपों में पाया जाता है l शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान
स्टैपी - यूरेशिया (पश्चिम रूस तथा मध्य एशिया)
प्रेयरी - USA, कनाडा, मैक्सिको
पम्पास - अर्जेंटीना, उरूग्वे, दक्षिणी ब्राजील
वेल्ड - दक्षिण अफ्रीका
डाउंस - दक्षिण पूर्व ऑस्ट्रेलिया
केंटरबरी - न्यूजीलैंड
बुग्याल और मर्ग - भारत
भारत के घास के मैदान :उत्तराखण्ड के गढ़वाल हिमालय में हिमशिखरों की तलहटी में जहाँ टिम्बर रेखा (यानी पेडों की पंक्तियाँ) समाप्त हो जाती हैं, वहाँ से हरे मखमली घास के मैदान आरम्भ होने लगते हैं। आमतौर पर ये 8 से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित होते हैं। गढ़वाल हिमालय में पाए जाने वाले इन उच्च अक्षांशीय अल्पाइन घासभूमियों को ‘बुग्याल’ कहा जाता है।गुजरात के कच्छ जिले में स्थित घास के मैदान को ‘बन्नी घास भूमि’ कहते है l मध्य हिमालय एवं लघु हिमालय में पाए जाने वाले घास के मैदानों को ‘मर्ग’ कहा जाता है l ये मुख्यतः हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर में पाए जाते है l हिमाचल प्रदेश में इन्हें ‘खज्जियार मर्ग’ एवं जम्मू कश्मीर में इन्हें प्रायः ‘सोनमर्ग एवं गुलमर्ग’ कहा जाता है l
सवाना घास का मैदान मुख्य रूप से पूर्वी अफ्रीका (केन्या, तंजानिया) में पाए जाते हैं। इसका सर्वाधिक विस्तार अफ्रीका में ही पाया जाता है। इसके अतिरिक्त ये कोलंबिया और वेनेजुएला के ओरिनिको बेसिन तथा ब्राजील, बेलीज, होंडुरास के साथ साथ भारत के दक्षिणी भागों में भी पाए जाते हैं। सवाना एक उष्ण कटिबंधीय घास का मैदान है, जो उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों और मरुस्थलीय बायोम के बीच पाया जाता है। इस प्रकार के घास के मैदान में घास के अतिरिक्त कहीं-कहीं झाड़ियाँ और कुछ पेड़ भी पाए जाते हैं।