पहाड़ खूबसूरत तो होते हैं लेकिन यहाँ के लोगों की जिंदगी उतनी खूबसूरत नहीं होती। हर मौसम उनके लिए एक मुसीबत बनकर खड़ी रहती है। हम तो बस आते हैं और चले जाते हैं, बस इसलिए हमें ये खूबसूरत लगता है। रास्ते में मिलने वाला पानी अब गहरा हरा हो गया था।यात्राओं का अपना अलग सुकून और एहसास है।


कितना भी घूम लो कुछ दिनों में कम ही लगने लगता है। कुछ दिनों के बाद लगता है फिर से एक नई जगह पर निकल जाना चाहिए। लेकिन वो सफर हमेशा रहता है, ज़ेहन में। जब भी उस सफर के बारे में सोचते हैं तो उसकी भीनी-भीनी याद चेहरे पर मुस्कान ले आती है। यात्राएँ शायद इसलिए भी खूबसूरत होती हैं क्योंकि आप उस जगह से निकल जाते हैं लेकिन वो जगह आपमें से नहीं निकल पाती है।


लोग बर्फीले पहाड़ों पे जाना पसंद करते है: गर्मी के मौसम में सभी लोग पहाड़ों की तरफ जाते हैं क्योंकि पहाड़ों पर मौसम ठंडा होता है। सर्दी के मौसम में पहाड़ की चोटियों पर बर्फ जम जाती है जबकि मैदानों में यदि ओले भी गिरे तो कुछ घंटों बाद वह पानी बन जाते हैं। सवाल यह है कि पहाड़ की चोटी ठंडी क्यों होती है जबकि वहां पर कोई पेड़ नहीं होता और सूर्य की किरणें पहाड़ की चोटी से सीधे टकराती है।इस प्रश्न का उत्तर भौतिक शास्त्र में मिल जाता है। भौतिकी का नियम कहता है कि मैदानी इलाकों की तुलना में ऊंचाई वाले इलाकों में वायु विरल हो जाती है। जिसके कारण वायु में ऊष्मा को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। यही कारण है कि पहाड़ की चोटियां ठंडी होती है, वहां धूप होने के बावजूद सर्दी का एहसास होता है। जबकि मैदानी इलाकों में वह वायु सघन होती है इसलिए पेड़ पौधे होने के बावजूद गर्मी ज्यादा पड़ती है।


सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें तो मनुष्य को सर्दी या गर्मी का एहसास सूरज की धूप के कारण नहीं बल्कि हवा के कारण होता है। यही कारण है कि सूर्य और पृथ्वी के बीच अंतरिक्ष में गर्मी नहीं बल्कि ठंडक होती है। इसी कारण पहाड़ की चोटी पर जमी हुई बर्फ पिघलती नहीं है, क्योंकि वहां हवा का दबाव कम होता है। मैदानी इलाके चारों तरफ पहाड़ों से घिरे होते हैं। इसके कारण मैदानी इलाके प्रेशर कुकर की तरह हो जाते हैं जहां हवाएं पहाड़ों से टकराकर वापस आती है। सर्दी के मौसम में जब बादल छा जाते हैं और हवा नहीं चलती तब सूर्य की किरण धरती तक नहीं पहुंचती फिर भी तापमान बढ़ जाता है। बर्फ पिघलने का कारण इसका आसपास की वायु के सम्पर्क में आकर उससे ऊष्मा का स्थान्तरण होता है। जितना अधिक सम्पर्क होगा उतनी अधिक ऊष्मा का स्थांतरण होगा और बर्फ उतनी जाली पिघलेगी।


पहाड़ों पर बर्फ जमने का मुख्य कारण :ऊंचाई पर जाने पर तापमान कम हो जाता है व वायुमंडलीय दाब बढ़ जाता है। चूँकि गरम अणु हल्के होते हैं और ऊपर की तरफ जाते हैं इस कारण ऊचाई पर तापमान कम हो जाता है और सघनता (Density) भी बढ़ जाती है। इसी कारण घरों में भी वेंटिलेशन ऊपर की तरफ बनाए जाते है जिससे गरम अणु बाहर निकल जाए और कमरा ठंडा बना रहे। पुराने रेफ्रिजरेटर में भी फ्रिजर ऊपर की तरफ बनाया जाता था जिससे ऊपर की तरफ ठंडक बनी रहे। वातावरण में बर्फ काफी अधिक बनती है, जिसका एक छोटा हिस्सा ही नीचे पहाड़ों पर गिरता है। ... वातावरण में मौजूद ओजोन की गर्म परतों के बीच से जब बर्फ के कण गुजरते हैं तो यह बर्फ पिघल जाती है और बारिश के पानी में बदल जाती है, जबकि ऊंचे पहाड़ों में तापमान पहले से ही शून्य डिग्री से काफी कम होता है, इसलिए वहां पर बर्फबारी होता है।


बर्फ से ढकी पहाड़ी इलाकों मेंलोग अब जायदा जाना पसंद करते है क्यूंकि वो देखने में काफी सुन्दर दिखता है। बच्चे अपने माँ बाप के साथ बर्फ के साथ खेलना बहुत ही पसंद करते है। इसलिए अगर आपको छुटियाँ बिताने का टाइम मिले तो एक बार बर्फीले पहरों के बीच अपने परिवार के साथ जरूर जाये।